तुंगनाथ-चंद्रशिला यात्रा (भाग 9) : चोपता से दिल्ली
जब हम किसी यात्रा पर अपने घर से निकलते हैं तो उसका रोमांच अलग होता है लेकिन यात्रा पूरी करके वापस लौटने पर वो रोमांच नहीं रह जाता तो जाते समय होता है। पर हमारी इस यात्रा में घर से निकलकर यात्रा पूरी करके वापस आने तक पूरी तरह रोमांच बना रहा। चार दिन की इस यात्रा में हमने दिल्ली से हरिद्वार तक की यात्रा ट्रेन से तय किया। ट्रेन से सफर करते हुए हमें हरिद्वार में उतरना था पर नींद नहीं खुली और हम देहरादून के करीब पहुंच गए और ऐसे ही बीच रास्ते में ट्रेन रुकने पर वहीं उतर कर पैदल ही निकल पड़े। हरिद्वार पहुंचने के बाद हम उखीमठ के लिए निकले पर परिस्थितियों ने हमें उखीमठ के बदले गुप्तकाशी पहुंचने पर मजबूर कर दिया। गुप्तकाशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के पश्चात हम उखीमठ में स्थित प्रसिद्ध कालीपीठ पहुंचे और फिर उसके बाद चोपता गए। चोपता से भारी बरसात में चढ़ाई करके तुंगनाथ पहुंचे और यहां भी परिस्थितियों ने कुछ और ही बाधा में डाला। उसके बाद पहले तुंगनाथ से चंद्रशिला की तरफ निकले जहां रास्ता भटककर हम कहीं और पहुंचे और सकुशल वापस भी आए। अगले दिन एक बार फिर तुंगनाथ से चंद्रशिला देखने चले और इस बार सकुशल पहुंचकर एक अद्वितीय अनुभव लेने के बाद वापस तुंगनाथ मंदिर आकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के पश्चात वापस चोपता आ गए। वापसी का हमारा सफर तो तुंगनाथ मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन के पश्चात ही शुरू हो गया था। बरसात में ही हम तुंगनाथ से चोपता आए। तुंगनाथ से चोपता आकर कुछ देर के विश्राम के पश्चात हमारा कारवां हरिद्वार की तरफ चलने को तैयार था।