Wednesday, March 22, 2017

बदरीनाथ : एक अदभुत अहसास

बदरीनाथ : एक अदभुत अहसास


वैसे तो पूरा उत्तराखंड ही देव भूमि कहा जाता है। उत्तराखंड का हिन्दू संस्कृति और धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। यहां गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ जैसे कई सिद्ध तीर्थ स्थल हैं। पूरे देश में में भगवान विष्णु के हज़ारों मंदिर हैं परन्तु उत्तराखंड स्थित पंच बदरी सर्वोपरि हैं। बदरीनाथ को चारधामों में से एक माना जाता है। मुझे भी इस धाम पर जाने और वहाँ एक दिन बिताने का सौभग्य मिला। 

समुद्र  के तल से लगभग 3133 मीटर की ऊंचाई पर बदरीनाथ धाम स्थित है। माना जाता है कि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में इसका निर्माण कराया था। वर्तमान में शंकराचार्य की निर्धारित परंपरा के अनुसार उन्हीं के वंशज नंबूदरीपाद ब्राह्मण भगवान बदरीविशाल की पूजा-अर्चना करते हैं। बदरीनाथ की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई, चतुर्भुज ध्यान मुद्रा में है। कहा जाता है कि यह मूर्ति देवताओं ने नारदकुण्ड से निकालकर स्थापित की थी। सिद्ध, ऋषि, मुनि इसके प्रधान अर्चक थे। जब बौद्धों का प्राबल्य हुआ, तब उन्होंने इसे बुद्ध की मूर्ति मानकर पूजा आरम्भ की। शंकराचार्य की प्रचार यात्रा के समय बौद्ध तिब्बत भागते हुए मूर्ति को अलकनन्दा में फेंक गए। शंकराचार्य ने अलकनन्दा से पुन: बाहर निकालकर उसकी स्थापना की। तदनन्तर मूर्ति पुन: स्थानान्तरित हो गयी और तीसरी बार तप्त कुण्ड से निकालकर रामानुजाचार्य ने इसकी स्थापना की।

Friday, March 17, 2017

वैष्णो देवी यात्रा (Journey of Vaishno Devi)-2016


वैष्णो देवी यात्रा (2016)



वैसे तो वैष्णो देवी की ये मेरी चौथी यात्रा है। इस बार भी पिछले साल की तरह नवरात्रों में अकेले जाने का प्लान किया। टिकट जून में ही बुक कर लिया था।  जाने का टिकट 8 अक्टूबर का और आने का 10 अक्टूबर का संपर्क क्रांति से बुक किया।  जाने से 6-7 दिन पहले अपने ऑफिस में कई लोगो को पूछा पर कोई भी जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। अंत में मैंने यही सोचा कि इस बार भी अकेले ही जाएंगे। अब पता नहीं क्यों कोई चलने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे ये तो वो लोग ही जानते होंगे। मैंने लोगो को ये भी समझाया कि आप लोगो को ऑफिस से कोई छुट्टी नहीं लेनी पड़ेगी।  शनिवार को ऑफिस के बाद हम लोग रात में जायेगे, फिर रविवार, सोमवार और मंगलवार तीन दिन की छुट्टी है। जाने से दो दिन पहले एक बार फिर मैंने लोगो से पूछना शुरू किया कि कोई वैष्णो देवी चलेगे तो चलिए और इसी क्रम में मृणाल नाम के एक सहकर्मी से जैसे ही मैंने पूछा तो बिना एक पल देर किये उन्होंने जाने के लिए हामी भर दी। वैसे टिकट बुक करवाते समय मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने मना कर दिया था इसलिए उनसे मैं नहीं पूछ रहा था।  पर आज उन्होंने हां कर दिया।  अब जब उन्होंने हां कर दिया तो उनके लिए टिकट भी चाहिए।  खैर जो भी हो टिकट भी तत्काल से बुक कर लिया गया।

Tuesday, March 14, 2017

राजगीर (राजगृह, Rajgir)

राजगीर (राजगृह, Rajgir)


राजगीर जाने का प्लान कल नालन्दा में घूमते हुए ही तय हो गया था। बात ये तय हुई थी कि सुबह 6 बजे तक राजगीर के लिए निकल जाना है। 2 दिन का भारतीय रेल का सफर, 1 दिन शादी समारोह और 1 दिन नालंदा घूमते हुए कुल मिलाकर 4 दिन की जो थकान थी उसके कारण ऐसी गहरी नींद आयी कि हम लोग 6 बजे तक सोते ही रह गए। 6 बजे जागने के बाद हम लोग जल्दी जल्दी ब्रश किये और एक बैग में कपडे रखे और निकल गए। नहाने का प्लान तो राजगीर के गरम कुंड में ही था। 6:30 बजे घर से निकले और एक ऑटो में बैठकर बस स्टैंड आ गए। बिहार शरीफ से राजगीर की दूरी 25 किलोमीटर है और यहाँ से राजगीर के लिए हर 5 मिनट में बस मिल जाती है। बस स्टैंड आया तो राजगीर के लिए एक बस खुलने के लिए तैयार थी। कुछ सीटें भर चुकी थी और कुछ खाली थी। हम तीनों बस में बैठ गए। वही तीन प्राणी आज भी थे जो कल नालंदा में भटक रहे थे।