Tuesday, April 25, 2017

भागसू नाग मंदिर और झरना (Bhagsu Naag Temple and Waterfall)

भागसू नाग मंदिर और झरना
(Bhagsu Naag Temple and Waterfall)


भागसू नाग मंदिर और झरना, मैक्लोडगंज (Bhagsu Naag Temple and Waterfall, McLeodganj)

काँगड़ा से धर्मशाला पहुंचकर बस से उतरने के बाद आने के बाद कुछ इधर उधर घूमा और फिर मैक्लोडगंज जाने वाली बस में जाकर बैठ गया। अभी 11 बजे थे। बस खुलने ही वाली थी। वैसे ये बस मैक्लोडगंज से आगे नड्डी गांव तक जा रही थी। नड्डी गांव गाड़ियों का अंतिम गंतव्य स्थल है इससे आगे कोई गाड़ी नहीं जाती। 11:30 बजे बस मैक्लोडगंज पहुँच गयी। हम बस से उतरकर बिना किसी से पूछे जिस और कुछ लोग जा रहे थे उधर ही चल दिए।  बस स्टैंड ऐसे बना हुआ था जैसे एक बड़ी से बिल्डिंग हो। मैं सीढिया चढ़कर ऊपर पहुँचा। वहीं बहुत सारी टैक्सियां खड़ी जो पर्यटकों के इंतज़ार में थी। ऐसा लग रहा था कि यही जगह मैक्लोडगंज का मुख्य बाजार है। पूरा चहल-पहल था।  यहीं से आगे तीन रास्ते थे।  मैं बिना किसी से कुछ पूछे ऐसे ही बीच वाली सड़क पर चलने लगा। बाजार पर करने के बाद रास्ता बेहद ही मनभावन और शांति लिए हुए था। दूर पैराग्लइडिंग करते हुए लोग दिख रहे थे। 

और भी कई लोग थे हमारे आगे पीछे चले जा रहे थी। इस भीड़ में मैं ही केवल अकेला दिख रहा था।  हर कोई किसी न किसी के साथ था।  खैर हम चलते रहे।  करीब 30 मिनट चलने के बाद भीड़ भाड़ शुरू हो गयी।  यहाँ होटल, गेस्ट हाउस की जैसे बाढ़ आयी हुई थी। टैक्सी वाले पर्यटकों को यहाँ टैक्सी से उतारकर अपनी अपनी टैक्सियां पार्किंग में लगा रहे थे और आगे जाने का रास्ता बता रहे थे और साथ ही अपना मोबाइल नंबर अपनी टैक्सी से आये हुए पर्यटकों को दे रहे थे कि वापस आने पर फ़ोन कीजियेगा। अब लोग जिधर जा रहे थे मैं भी उधर ही चल दिया।  कुछ ही दूर के बाद एक बोर्ड पर "भागसू नाग मंदिर" और दूसरे बोर्ड पर "भागसू नाग झरने का रास्ता" लिखा हुआ दिख गया।  बोर्ड देखते ही समझ गया कि सारे लोग वहीं जा रहे हैं। 


मैं भी चल दिया। आगे बढ़ते ही झरना दिखना आरम्भ हो गया। करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी पर झरना दिख रहा था।  पहले तो वहां जाने का सोचा ही नहीं क्योकि पीठ पर एक इतना भारी बैग लटकाये हुए इतनी चढ़ाई कौन करेगा।  फिर अगले ही पल ये लगा कि इतनी दूर आये है और थोड़ी सी चढ़ाई से डरकर मैं झरने तक न जाऊं तो ये कौन सी घुमक्कड़ी हुई। लोग तो माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ जाते और मैं 1.5 किलोमीटर की चढ़ाई से डर जाऊं।  और वैसे भी मैंने अभी अभी घुमक्कड़ी शुरू किया है आगे अभी न जाने इस घुमक्कड़ी में कितनी चढ़ाई आये। 

उसके बाद मैं कुछ देर तेज़ क़दमों से चल फिर आधी दूरी के बाद धीरे क़दमों से चलते हुए 12:15 बजे झरने के पास पहुँच गया। ऊँचाई से गिरने से पानी की आवाज़ एक संगीत जैसा लग रहा था। मैंने पानी को छूकर देखा तो पानी बिलकुल ठंडा था।  मैं कुछ देर वही पानी में खड़ा रहा।  कुछ लोग वहीं नहा रहे थे तो कुछ लोग नीचे जाकर नहा रहे थे ।  नहाने का मन तो मेरा भी कर रहा था पर अकेला था इसलिए नहा नहीं पाया।  मैंने और लोगो से कहकर अपनी कुछ फोटो खिंचवाई फिर और कुछ देर वही बैठा। घडी देखा तो 12:30 बज चुके थे।  अब मुझे वापस भी चलना था सो चल दिया की तरफ।  नीचे आने पर भागसू नाग मंदिर गया। यह एक नाग का मंदिर है और यहाँ एक शिवलिंग स्थापित है। यहाँ शिवलिंग पर जल चढ़ाया और वह बैठे पुजारी ने एक तिलक लगाया। जिस रास्ते से हम गए थे उसी रास्ते से जहाँ बस से उतरे थे वहीं वापस आ गए। यहाँ से धर्मशाला जाने वाली बस का पता किया तो किसी ने बताया कि अभी तुरंत गयी। फिर उसने कहा कि वो रही बस, दौड़  कर जाइये मिल जाएगी।  मैं दौड़ कर गया।  मुझे दौड़ता देखकर बस वाले ने बस रोक दिया। मैं बस में बैठा और घड़ी देखा तो 1 :45 बज चुके थे। अभी तक मैंने ये नहीं सोचा था कि मुझे यहाँ से कहाँ जाना है पर घडी देखने के बाद मैं चिंतपूर्णी देवी के दर्शन का मन बना लिया क्योंकि अभी 2  बजने वाले थे और सब कुछ अच्छा रहा तो 6 बजे तक चिंतपूर्णी पहुच जाएंगे।  


यहाँ से मेरा मन नड्डी गांव जाने का कर रहा था, पर पता नहीं फिर क्यों नहीं जा सका।  इस बात की मलाल मुझे पूरे रास्ते रहा। इस बार न सही पर अगले बार जरूर जाऊंगा।  और अगले बाद नड्डी गांव ही नहीं नड्डी गांव ही नहीं और आगे जाऊंगा।  आइए गाड़ियां नड्डी गांव तक ही जाती है। उसके ऊपर पैदल ही जाना पड़ता है।  नड्डी गांव मैक्लोडगंज से 6 किलोमटेर ऊपर है। मैकलोड गंज से नड्डी सड़क मार्ग से जुड़ने वाला अंतिम स्थान है। 

कुछ बातें मैक्लोडगंज के बारे में 
मैक्लोडगंज भारत के हिमाचल प्रदेश प्रान्त का एक बहुत ही छोटा शहर है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।  यहाँ तिब्बती लोग बहुत अधिक हैं।  मैक्लोडगंज को अपर धर्मशाला के नाम से भी जाना जाता है। धर्मशाला से  मैकलोडगंज की दुरी करीब 10 किलोमीटर है।  

जाने के साधन 
सड़क मार्ग : दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से धर्मशाला के लिए हिमाचल रोडवे की बसें बहुत आसानी से मिल जाती है।  इसके अलावा हिमाचल पर्यटन विभाग द्वारा संचालित डीलक्स बसें भी दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस से मिल जाती है। इसके अलावा आप पठानकोट से काँगड़ा और काँगड़ा से धर्मशाला जा सकते हैं। धर्मशाला से मैक्लोडगंज के लिए हरेक 10 से 15 मिनट पर बसें मिल जाती हैं। 

वायु मार्ग : मैक्लोडगंज तक पहुँचने के लिए वैसे तो कोई सीधे हवाई साधन नहीं है।  मैक्लोडगंज का नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल एयरपोर्ट है जो धर्मशाला से करीब 13 किलोमीटर दूर है।  यहाँ के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों से हवाई सेवा उपलब्ध है। 

रेल मार्ग : मैक्लोडगंज कहीं से भी रेल मार्ग से जुड़ा नहीं है। फिर भी यदि आप रेल मार्ग से जाना चाहते हैं तो यहाँ के लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से आप बस से भी जा सकते हैं या फिर पठानकोट से जोगिन्दर नगर जाने वाली नैरो गेज रेलवे (टॉय ट्रेन, जिसे काँगड़ा वैली रेलवे भी कहते हैं ) से काँगड़ा तक जा सकते हैं।  इसके बाद काँगड़ा से धर्मशाला तक 20 किलोमीटर और धर्मशाला से मैक्लोडगंज (10 किलोमीटर ) का सफर बस  ही तय करना होगा। 


मैक्लोडगंज के आस-पास के दर्शनीय स्थल :
भागसू नाग झरना : मैक्लोडगंज से 2 किलोमीटर। 
करेरी झील : ओक और देवदार के पेड़ों के बीच स्थित झील जो आपका मन मोह लेगी। 
त्रिउंड : ट्रैकिंग के शौक़ीन लोगो का अड्डा।  यहाँ से आगे वैसे भी बर्फ की वादियां आरम्भ हो जाती है 
डल झील : जी सही सुना आपने डल झील पर कश्मीर वाली नहीं।
नड्डी गांव : बहुत ही खूबसूरत जगह।  मैक्लोडगंज से 6 किलोमीटर।


आज के लिए बस इतना ही।  आगे की बाते अगले पोस्ट में।  जुड़े रहिये मेरे साथ हम अभी गए और अभी आये। 





अब कुछ फोटो हो जाये :



भागसू नाग झरना




मैं (जिंदगी की पहली सेल्फी)


मैक्लॉडगंज की गलियां

पैराग्लाइडिंग

खूबसूरत बसावट

मैक्लोडगंज से दिखता धर्मशाला

धुप में चमकता बर्फ से ढंका हिमालय

भागसू नाग झरना

भागसू नाग झरने का रास्ता

भागसू नाग झरने का रास्ता

शीतल पेय को ठंडा करने का देसी तरीका

भागसू नाग झरना

मस्ती करते लोग

मैं 




भागसू नाग झरना

भागसू नाग झरना

भागसू नाग झरना

पत्थरों से गिरता झरने का पानी

मनमोहक वादियां

पत्ते के ऊपर से गुजरकर गिरता हुआ पहाड़ से आता पानी

भागसू नाग झरने का एक दृश्य

पहाड़ में खुशबू

आसमान में उड़ता पक्षी

भागसू नाग झरने का रास्ता

भागसू नाग झरने  का रास्ता दर्शाता बोर्ड


भागसू नाग  का रास्ता दर्शाता बोर्ड

भागसू नाग मंदिर के बहार हनुमान जी प्रतिमा

पहाड़ के ऊपर पेड़ों पर बर्फ

पहाड़ के ऊपर हल्की बर्फ

11 comments:

  1. बढ़िया पोस्ट....आपके ब्लॉग पर पहली बार आगमन हुआ... |

    एक सलाह - चित्रों पर अपना नाम साइड में लिखिए.... बीच में लिखने से चित्रों की सुदंरता भग्न हो जाती है...

    www.safarhaisuhana.com

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    1. सलाह देने के लिए आपका धन्यवाद। आपकी सलाह पर अमल करते हुए आगे से किसी भी चित्र के बीच में अपना नाम न लिखकर साइड में लिखेंगे, और जल्दी ही जिन चित्रों पर बीच में नाम लिखे हैं उनको भी सही कर देंगे।

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  2. सलाह देने के लिए आपका धन्यवाद। आपकी सलाह पर अमल करते हुए आगे से किसी भी चित्र के बीच में अपना नाम न लिखकर साइड में लिखेंगे, और जल्दी ही जिन चित्रों पर बीच में नाम लिखे हैं उनको भी सही कर देंगे।

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  3. आपने संशय पर जीत प्राप्त कर घुमक्कडी की तो हो गयी घुमक्कडी दिल से

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    1. प्रतीक जी सही कहा आपने बिलकुल सही

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  4. हम भी गये थे यहां। बढ़िया पोस्ट।

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    1. मिश्री से भी ज्यादा मीठा धन्यवाद गुरुदेव।

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  5. सुंदर पोस्ट। ऐसे ही यात्राएं कीजिये और अपने अनुभव नए पर्यटकों के साथ बाटते रहिये।

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    1. मेरे प्रविष्टि को पढ़ने के लिए सुमधुर धन्यवाद प्रिया जी

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  6. This is great and awesome post. I really like this amazing blog post. Its an awesome, appropriate, customized information one seeks for. You have mentioned everything in a proper way. Thank you for giving your time in writing this unique and important information.

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपको

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