Thursday, April 6, 2017

दिल्ली से पठानकोट (Delhi to Pathankot)

दिल्ली से पठानकोट (Delhi to Pathankot)



आख़िरकार इंतज़ार ख़तम हुआ और यात्रा की तिथि आ ही गयी। ट्रेन पुरानी दिल्ली (दिल्ली जंक्शन) से रात 11:45 पर थी। रोज तो ऑफिस से मैं करीब 8 बजे आता था। आज जाना था इसलिए ऑफिस से 6 बजे ही निकल गया। करीब 6:30 बजे मैं घर पहुँच गया। अब तक कंचन पैकिंग का सारा काम कर चुकी थी। मुझे 4 दिन बाहर रहना था इसी हिसाब उसे उसने इतना खाने-पीने का सामान दे दिया था कि इतने में बिना कहीं किसी होटल में खाना खाये भी मेरा गुजारा हो जाये। 


9:15 बजे मैं घर से निकला और सीधा मेट्रो स्टेशन पहुँच गया। मेट्रो में जो भीड़ होती है उसके कारण मुझे मेट्रो से कहीं भी आना जाना पसंद नहीं है पर ये सोचकर कि रात ज्यादा हो गयी है तो भीड़ कुछ कम मिलेगी इसलिए मेट्रो से जाने का इरादा किया और मेरा ये अंदाज़ सही निकल जब प्लेटफार्म पर पहुंचे तो कुछ ही लोग थे और जो मेट्रो आयी भी वो भी 8 कोच की जिसके कारण मेट्रो के अंदर भीड़ ज्यादा नहीं हो सकी। पर जैसे जैसे स्टेशन आ रही थी मेट्रो के अंदर भीड़ बढ़ती जा रही थी और उसका कारण एक ही था कि हरेक स्टेशन पर चढ़ने वाले यात्री तो थे पर उतरने वाले यात्री एक भी नहीं थे। इसी तरह बाराखंभा रोड स्टेशन आते आते भीड़ इतनी हो गयी कि अब खड़े होने मुश्किल हो रहा था। अब मन में मैं बस यही सोच रहा था कि काश मैं ऑटो से आ जाता तो ये गति नहीं होती हमारी। 


कुछ ही देर में हम राजीव चौक पहुँच गए और यहाँ से मुझे इस मेट्रो को छोड़कर दूसरी मेट्रो में जाना था। यहाँ भीड़ बहुत अधिक थी। यहाँ चढ़ने वाले इतने थे कि उतरने वाले बहुत मुश्किल से उत्तर पाए। खैर हम भी किसी तरह मेट्रो से बाहर निकले और दूसरी मेट्रो पकड़ने के लिए सीढ़ियों से नीचे उतरे। यहाँ बहुत लंबी लंबी लाइन लगी थी। लाइन की लंबाई देखकर ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे नोटबंदी के दौरान बैंक की लाइन हो या फ्री में मिलने वाले जिओ सिम की लाइन। 2 मिनट में मेट्रो आ गयी। मेट्रो के अंदर की भीड़ को देखकर मैंने इस मेट्रो को छोड़ने का इरादा कर लिया और इसके बाद आपने वाली गाड़ी में जाने का सोचा। यही सोचकर मैं लाइन से निकलने के लिए कदम बढ़ाया ही था कि पीछे खड़े लोगों ने इतनी जोर से धक्का दिया कि बिना कदम बढ़ाये और न चाहते हुए भी मैं अपने आपको मेट्रो के अंदर खड़े पाया। अब मैं यही सोच रहा था की था कि बिना कोई मेहनत किये मैं मेट्रो के अंदर आ तो गया हूँ पर चांदनी चौक स्टेशन पर मेट्रो उसे उतरने के लिए मुझे इतनी जद्दोजहद करनी पड़ेगी कि सारा खाया-पीया यहीं पच जायेगा। ट्रेन जैसे चांदनी चौक स्टेशन पर उतरने वाले बहुत थे और चढ़ने वाले बहुत काम इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं हुई। 



मेट्रो से निकलकर मैं तेज़ क़दमों से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन की तरफ भागा। यहाँ पहले से ही कुछ लोग डिस्प्ले बोर्ड की तरफ नज़रें गड़ाए खड़े थे इतने में ही एक आदमी ने अपने साथी से कहा कि ट्रेन नंबर 14035 (धौलाधार एक्सप्रेस) प्लेटफॉर्म नंबर 13 से जाएगी। उनकी आपस की ये बात सुनकर मुझे डिस्प्ले बोर्ड को देखने की जरुरत ही नहीं पड़ी। मैं सीधा सीढियां चढ़कर प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर पहुँच गया। वहां गया तो देखा की ट्रेन प्लेटफार्म पर पहले से ही खड़ी थी। हम जाकर अपने सीट पर विराजमान हो गए। कुछ लोग पहले से ही ट्रेन में बैठे थे। कुछ लोगों ने तो ट्रेन को रसोईघर और डाइनिंग रूम जैसा बना रखा था। हर जगह उन लोगों ने बर्तन और खाने का सामान फैला रखा था। मैंने घडी पर निगाह डाली तो देखा कि 10 बज चुके हैं। मेरा ऊपर का बर्थ था तो मैं अपना सामान ऊपर रखकर सोने की तैयारी में लग गया। 



मैं ऊपर की बर्थ पर जाकर लेट गया। ट्रेन अपने निर्धारित समय 10 :45 पर दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली) से पठानकोट के रवाना हो गयी। ट्रेन अपने पूरे गति से सरपट भागी जा रही थी। मैं ऊपर की बर्थ पर था इसलिए मैं बाहर का कोई नज़र देख नहीं पा रहा था और शायद नीचे भी होता तो कुछ देख नहीं पाता क्योंकि रात के 11 से ज्यादा बज चुके थे। घर पर मैं 10 से 10 :30 बजे तक सो जाता हूँ। यह समय मेरे सोने के समय से बहुत ज्यादा हो रहा था। मुझे बड़ी जोर से नींद आ रही थी सो कब नींद आ गयी कुछ पता नहीं चला। एक बार जब नींद खुली तो मैंने यही महसूस किया कि ट्रेन किसी बड़े स्टेशन पर खड़ी है। घडी में सुबह के 5 बज चुके थे। मैंने एक व्यक्ति से पूछा कि कौन सा स्टेशन है उन्होंने बताया कि लुधियाना और फिर उन्होंने ये भी पूछा कि कहाँ तक जाना है तो मैंने अपना गंतव्य पठानकोट बताया। हमारी बातें सुनकर निचले बर्थ पर सोये हुए व्यक्ति की नींद खुली और वो खिड़की से झांक के देखने के बाद बीच वाली बर्थ पर सोये हुए व्यक्ति को जगाया और कहा जल्दी उठो  लुधियाना आ गयी है। वो आदमी भी जल्दी से उठा और अपना सामान समेटने लगा। इतने में ट्रेन ने हॉर्न दिया। हॉर्न की आवाज़ सुनकर दोनों बहुत जल्दी से दरवाजे की तरफ भागे। उनमें से एक ही उतर पाया था कि ट्रेन चल पड़ी। खैर वो दोनों किसी तरह उतर गए। उनके जाते ही मैं भी ऊपर की बर्थ से नीचे आकर सो गया। 


एक घंटे बाद हमारी आँख खुली तो ट्रेन जलंधर स्टेशन पर खड़ी थी। अब तक सुबह ने भी अपनी दस्तक दे थी। आकाश में लालिमा पसर चुकी थी। एक नज़र मैंने अपनी घडी पर डाली तो 6 बजे चुके थे। मतलब अभी भी पठानकोट पहुंचने में करीब ढाई घाटे और थे। जलंधर में अधिकांश लोग उत्तर चुके थे। जलंधर से पठानकोट का सफर तय करते हुए ट्रेन कुछ और स्टेशनों पर रुकी और करीब 8 बजे हम पठानकोट कैंट स्टेशन पहुँच गए।  यहाँ ट्रेन का ठहराव नहीं था इसलिए ट्रेन बीच के लाइन से गुजर रही थी।  ये देखकर कुछ लोग परेशान होने लगे कि हम ट्रेन से उतरेंगे कैसे क्योकि ट्रेन के दोनों तरफ में से किसी तरफ प्लेटफार्म नहीं है। फिर कुछ लोगों ने उन लोगों को बताया कि हमें यहाँ नहीं पठानकोट जंक्शन पर उतरना है। पठानकोट जंक्शन यहाँ से कुछ ही दूर थी और ट्रेन अपने निर्धारित समय  5 मिनट की देरी से पठानकोट जंक्शन पहुच गयी। 

एक और बात बताऊँ।  वैसे इस चीज़ को लोग गौर नहीं करते और मैं भी इससे पहले जम्मू 4 बार गया हूँ पर कभी ध्यान नहीं दिया।  जब ट्रेन पठानकोट कैंट से आगे बढ़ती है तो आप अगर ट्रेन से बहार दाहिने  साइड में देखगे तो  बर्फ से ढकी धौलाधार पर्वत श्रृंखला दिखाई देगी । यदि मौसम साफ रहा तो बिलकुल साफ चमकती हुई बर्फ से ढंके पहाड़ दिखेगे और मौसम ठीक नहीं तो नहीं दिखाई देगी या धुंधली दिखेगी।  



ट्रेन उसे उतरते ही उद्घोषणा सुनने को मिली कि जोगिन्दर नगर जाने वाली ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 4 से जाएगी। मैं सीधा टिकट काउंटर पर गया और काँगड़ा मंदिर का एक टिकट ले कर स्टेशन से बाहर कुछ फोटो खीचने चला गया।  फोटो लेने के बाद मैं सीधा प्लेटफार्म 4 पर पहुंच गया। अब तक 8:45 बज चुके थे। 


पठानकोट उत्तर रेलवे का अंतिम एवं जंक्शन स्टेशन है जहाँ से अमृतसर, जालंधर ,जम्मू और जोगिन्दर नगर के लिए अलग अलग रेलमार्ग हैं । यह ब्रॉड गेज का आखिरी स्टेशन इससे आगे नेरो गेज की लाइन है जो काँगड़ा, बैजनाथ होते हुए जोगिन्दर नगर तक जाती है। इस रेल मार्ग का नाम काँगड़ा घाटी रेलवे है। पहले पठानकोट पर सभी गाड़ियाँ आती थी किन्तु अब जम्मू जाने वाली गाड़ियाँ चक्की बैंक से ही मुड़ जाती हैं और यहाँ रह जाती हैं कुछ गिनी चुनी ट्रेन। पठानकोट स्टेशन, ब्रॉडगेज के लिए कम नेरो गेज के लिए ज्यादा जाना जाता है ।

आइये अब कुछ फोटो देखते है। जल्दी हम दूसरा भाग लेके आपके सामने हाज़िर होंगे। बस ऐसे ही अपना प्यार बनाये रखिये।





अब कुछ फोटो हो जाये :



दिल्ली जंक्शन (पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन) का मुख्य द्वार

दिल्ली जंक्शन का प्लेटफार्म नंबर 13

पठानकोट कैंट रेलवे स्टेशन

पठानकोट रेलवे बाईपास

पठानकोट रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार

पठानकोट रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार के पास खड़ा भोलू (Mascot)

काँगड़ा घाटी की ट्रेनें इसी प्लेटफार्म नंबर 4 से जाती है

टॉय ट्रेन का इंजन

यार्ड में खड़ी मालगाड़ी और सवारी गाड़ी के डिब्बे

यार्ड में खड़ी मालगाड़ी और सवारी गाड़ी के डिब्बे

यार्ड में खड़ी सवारी गाड़ी के फर्स्ट क्लास डिब्बे

पठानकोट से खुलने के बाद काँगड़ा की तरफ जाती ट्रेन

काँगड़ा घाटी जाने वाली ट्रेन की सीटें

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