Tuesday, April 4, 2017

काँगड़ा में कुछ दिन (Some days in Kangra)-2017

काँगड़ा में कुछ दिन (Some days in Kangra)-2017



बेटे की परीक्षा 10 मार्च को खत्म होने के बाद 11 मार्च का पत्नी और बेटे का पटना जाने का टिकट था और मेरा टिकट 17 मार्च को था और वापसी की टिकट सब लोगो की 20 मार्च की थी।  मैंने ऑफिस से छुट्टी भी ले ली थी। पर जाने के एक दिन पहले  सारी योजना धरी की धरी रह गयी।  पत्नी ने वहां जाने से मना कर दिया कि अब वहां गर्मी की छुट्टियों में जाऊँगी। बेटे ने भी अपनी माँ का पक्ष लेते हुए जाने से मना कर दिया। उन लोगों के मना कर देने के बाद मेरे सामने के एक बड़ा धर्मसंकट आ गया क्योकि मैं अपने ऑफिस से भी छुट्टी ले चुका था। छुट्टी लेने के बाद ऑफिस जाना भी अच्छा नहीं लग रहा था और घर में रहना भी उचित नहीं था। बहुत सोचने के बाद मैं ज्वाला देवी और और बैजनाथ महादेव जाने की योजना योजना बनाई। यहाँ भी जाने से पत्नी और बेटे ने मना कर दिया और कहा कि इस बार आप अकेले ही चले जाइये हम दोनों फिर कभी बाद में जायेगे जब माँ-पिताजी साथ में होंगे।  

अब मैंने अपने जाने का टिकट दिल्ली से पठानकोट के लिए धौलाधार एक्सप्रेस (ट्रेन सं. 14035) से 17 मार्च का टिकट बुक कर लिया।  बुकिंग के समय मुझे कन्फर्म टिकट तो नहीं मिली पर उम्मीद थी कि जाने से पहले कन्फर्म हो जाएगी और जाने से 2 दिन पहले ही टिकट कन्फर्म हो गयी। वापसी की टिकेट पठानकोट-दिल्ली सुपरफास्ट एक्सप्रेस (ट्रेन सं. 22430) में आने का टिकट ले लिया और जाने की तिथि का इंतज़ार करने लगा। 


मैंने योजना ये बनायीं थी कि 17 मार्च को दिल्ली से पठानकोट, 18 मार्च को पठानकोट से ज्वालादेवी, 19 मार्च को ज्वालादेवी के दर्शन, 20 मार्च को ज्वालादेवी से बैजनाथ और बैजनाथ से शाम 5 बजे की ट्रेन से पठानकोट आ जायेंगे जो पठानकोट रात के 11 बजे पहुँचती है और रात में पठानकोट में रूककर सुबह दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़नी है।  यही सोचकर मैंने पठानकोट स्टेशन पर ही रिटायरिंग रूम बुक कर लिया था। पर इस यात्रा में मेरी योजना के अनुसार कुछ हुआ और कुछ नहीं भी हुआ पर जो भी हुआ बहुत अच्छा हुआ। इस यात्रा के लिए मैंने 2 जगह की प्लानिंग और गए 5 जगह। इस यात्रा में मैंने घुमक्कड़ी का पूरा मज़ा लिया।


यात्रा में अकेले जाने का भी एक अलग मज़ा है। अगर कोई और मेरे साथ होता तो शायद मैं इतने जगह नहीं जा पाता जितना मैंने अकेले रहते हुए घूम लिया। इस पूरे यात्रा के दौरान मैं दिन में कुछ नहीं खाता बस केवल रात में सोते समय कुछ खा लिया करता था फिर भी थोड़ी थकान महसूस नहीं होती थी। पूरे दिन पीठ पर एक बैग लटकाये चलता रहता था, कभी बस कभी ट्रेन तो कभी पैदल। बैग में खाने पीने की भरपूर सामग्री होते हुए भी भूखे रहने और घूमने एक अलग ही रोमांच महसूस होता था।  

ये तो हो गयी यात्रा से पहले की बात अब अगले भाग में अपने हर दिन और हर जगह की जानकारी दूंगा। बस बने रहिये मेरे साथ। 

DATE
PLACE
BY
17 March 2017
Delhi to Pathankot
14035: Dhauladhar Express
18 March 2017
Pathankot to Jwalamukhi Road
52473: PTK-JDNX Passenger
18 March 2017
Jwalamukh Road to Jwaladevi
Bus
19 March 2017
Jwaladevi to Dharamshala
Bus
19 March 2017
Dharamshala to Macklodganj
Bus
19 March 2017
Macklodganj to Chintpoorni
Bus
20 March 2017
Chintpoorni to Baijnath
Bus
20 March 2017
Baijnath to Pathankot
52468: BJPL-PTK Passenger
21 March 2017
Pathankot to Delhi
22430: PTK-DLI Express




अब कुछ फोटो हो जाये :



बैजनाथ महादेव मंदिर से दिखता बर्फ से ढँका हिमालय



काँगड़ा वैली रेलवे का एक इंजन

काँगड़ा घाटी की वादियों का एक नज़ारा




ज्वालादेवी मंदिर में मैं  

धर्मशाला से मैक्लोडगंज के रास्ते में बस से लिया गया एक आकर्षक दृश्य

धर्मशाला बस स्टेशन से हिमालय का मनमोहक दृश्य

मैक्लोडगंज में भागसू नाग झरने के रास्ते का मनोरम दृश्य

बैजनाथ महादेव मंदिर, पपरोला , पालमपुर, हिमाचल प्रदेश 

बैजनाथ महादेव मंदिर से धौलागिरी का एक दृश्य

काँगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर लगा बोर्ड

बैजनाथ महादेव मंदिर परिसर


बैजनाथ महादेव मंदिर परिसर में मैं  


बैजनाथ महादेव मंदिर के मुख्य मंदिर में उपस्थित लोग

बैजनाथ महादेव मंदिर परिसर में नंदी जी और सामने बर्फ से ढँका हिमालय


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