Friday, August 25, 2017

रामेश्वरम यात्रा (भाग 1) : ज्योतिर्लिंग दर्शन

रामेश्वरम यात्रा (भाग 1) : ज्योतिर्लिंग दर्शन 





आज से एक साल पहले जब हमने भारत के उत्तर में हिमालय पर स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये थे तो ये सोचा भी नहीं था कि एक साल बाद देश के सबसे दक्षिण में स्थित भगवान शंकर के एक और ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। रामेश्वरम महादेव के ज्योतिर्लिंग के साथ साथ भगवान् विष्णु के चार धामों में से एक धाम भी है। रामेश्वरम शहर के पूर्वी भाग में स्थित श्री रामनाथ स्वामी मंदिर की ऊंची ऊंची दीवारें, सुन्दर कलाकारी से सजे हुए स्तम्भों की श्रृंखलाएं, बुलंद और सजे धजे गोपुरम (मंदिर का प्रवेश द्वार) के साथ साथ विशालकाय नंदी को देखना किसी सुन्दर कल्पना के सच होने जैसा लगता है। मंदिर का खूबसूरत विशाल गलियारा जिसे एशिया में मौजूद हिन्दू मंदिरों में सबसे लम्बा गलियारा होने का दर्जा प्राप्त है। यहाँ दो शिवलिंग की पूजा होती है, एक वो जिन्हें हनुमान जी कैलाश से लेकर आये थे और उसे विश्वलिंगम कहा जाता है जबकि दूसरे को जिसे भगवान राम ने बनाया था जिसे रामलिंगम कहा जाता है। मन्दिर परिसर में 24 कुंड है, जिसमें से 2 कुंड सुख चुके हैं और 22 कुंडों में पानी है पर यहाँ आने वाले लोगों को 21 कुंड के पानी से ही स्नान कराया जाता है क्योंकि 22वें कुंड में सभी कुंडों का पानी है। कुछ लोग जो लोग इन सभी कुंडों में नहीं करना चाहें उनके लिए इस 22वें कुंड में स्नान करना ही पर्याप्त है। इन सभी कुंडों के नाम रामायण और महाभारत कालीन लोगों के नाम पर रखे हैं जैसे अर्जुन तीर्थ, नल तीर्थ, नील तीर्थ, गायत्री तीर्थ, सावित्री तीर्थ और सरस्वती तीर्थ, गंगा-जमुना तीर्थ,आदि आदि। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तगण इन कुंडों में स्नान के पश्चात ही मंदिर में दर्शन के लिए जाते है, वैसे इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है, बिना इसमें स्नान के भी दर्शन किया जा सकता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु चाहे इन कुंड में स्नान करें या न करें पर मंदिर से करीब 200 मीटर की दूरी पर यहाँ के महत्वपूर्ण स्नान अग्नितीर्थम (समुद्र) में स्नान जरूर करते हैं।

Friday, August 11, 2017

तिरुपति से चेन्नई होते हुए रामेश्वरम की ट्रेन यात्रा

तिरुपति से चेन्नई होते हुए रामेश्वरम की ट्रेन यात्रा 






तिरुमला स्थित भगवान् वेंकटेश्वर और तिरुपति स्थित देवी पद्मावती के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात हमारा अगला पड़ाव रामेश्वरम था, जिसके लिए हमें पहले तिरुपति से चेन्नई सेंट्रल तक एक ट्रेन के सफर के बाद चेन्नई एग्मोर से रामेश्वरम तक का सफर दूसरे ट्रेन से करना था। दोनों ट्रेन की हमारी बुकिंग पहले से ही थी इसलिए सीट की भी कोई चिंता नहीं थी। पद्मावती मंदिर के दर्शन करके मन में एक नई ऊर्जा भर गई थी, क्योंकि इस जगह पर जाने के लिए न तो मैंने सोचा था और न ही यहाँ जाने की कोई योजना थी और हम थोड़े से खाली समय का सदुपयोग करके इस मंदिर के दर्शन भी कर लिया। शायद इस मंदिर के दर्शन न करता और बाद में लोगों से ये सुनता कि जितना समय हमारे पास था उससे कम समय में इस मंदिर के दर्शन किये जा सकते थे तो बाद में बहुत अफ़सोस होता, पर अब कोई अफ़सोस नहीं था। अब अगर कुछ था तो एक नयी ऊर्जा के साथ आगे की यात्रा के लिए बढ़ना। हमारी ट्रेन 10 बजे थे और 9:30 बज चुका था और हमें यहाँ से निकलकर स्टेशन के लिए प्रस्थान करने का समय हो चुका था। 

Friday, August 4, 2017

देवी पद्मावती मंदिर (तिरुपति) यात्रा और दर्शन

देवी पद्मावती मंदिर (तिरुपति) यात्रा और दर्शन



तिरुमला की सप्तगिरि पहाड़ियों में स्थित भगवान् वेंकटेश के दर्शन के उपरांत हम कल ही तिरुमला से तिरुपति आ गए थे और आज हमें तिरुपति से चेन्नई होते हुए रामेश्वरम जाना था। हमारी ट्रेन दिन में 10 बजे थी और प्लान तो यही था कि सुबह सुबह तिरुपति शहर में एक दो घंटे घूमने के बाद निर्धारित समय पर स्टेशन पहुंचना है, पर एक मित्र के सुझाव के अनुसार मुझे अपनी योजना बदलनी पड़ी। अब हम तिरुपति के बाज़ारों में भटकने के बजाय देवी पद्मावती के दर्शन के लिए जाना था। वैसे तो पद्मावती मंदिर के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी थी कि ये मंदिर तिरुपति में स्थित है पर यहाँ कैसे जाएं और जाने के बाद कितना टाइम लगेगा ये सब पता नहीं होने के कारण मैंने इसे अपनी योजना में शामिल नहीं किया था। कभी कभी बिना सोचे हुए भी कुछ हो जाता है और यही मेरे साथ हुआ। कल रात में एक मित्र नरेंद्र शोलेकर ने मुझे पद्मावती मंदिर और वहां जाने के बारे में बताया और मैं वहां जाने को झट तैयार हो गया। शायद उनका मार्गदर्शन न होता तो शायद इस मंदिर के दर्शन से मैं वंचित रह जाता।