Friday, September 22, 2017

त्रिवेंद्रम यात्रा : पद्मनाभस्वामी मंदिर और कोवलम बीच

त्रिवेंद्रम यात्रा : पद्मनाभस्वामी मंदिर और कोवलम बीच


आज हमारी यात्रा का आठवां दिन था और हमारी यात्रा अब धीरे धीरे अंतिम अवस्था में पहुंच रही थी। त्रिवेंद्रम से दिल्ली की हमारी ट्रेन दोपहर बाद 2ः15 बजे थी। तब तक पहले की बनी योजना के अनुसार आज पद्मनाभ स्वामी मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन करना और उसके बाद कोवलम बीच जाना था। उसके बाद वापसी में समय बचने पर गणपति मंदिर में गणपति जी के दर्शन करना था। तड़के सुबह 3 बजे अलार्म बजने के साथ ही नींद खुल गई। रात में 11 बजे के बाद तो सोए थे और 4 घंटे में नींद ठीक से पूरी हुई भी नहीं कि जागना पड़ रहा था। वैसे भी घुम्मकड़ी में नींद और भूख दोनों को त्यागना पड़ता है तभी घुमक्कड़ी हो सकती है। खैर जैसे तैसे आंखे मलते हुए उठे और दूसरे कमरे में सो रहे सभी लोगों को जगाया। यहां कमरा भी ऐसा मिला था कि हरेक व्यक्ति के लिए एक छोटा कमरा था और हम पांच लोगों के लिए पांच अलग अलग कमरे थे। हमारी योजना मंदिर 5 बजे से पहले पहुंचने की थी इसलिए सब जल्दी जल्दी नहा धो कर निकलने की तैयारी करने लगे। 4 बजते बजते हम लोग तैयार हो गए। सारा सामान पैक कर लिया गया कि आने के बाद ज्यादा समय न लगे और गीले कपड़े सूखने के लिए कमरे में ही डाल दिया गया। इतना सब करते करते 4ः15 बज गए। मंदिर जाने के लिए हम कमरे से निकले तो अभी बाहर बिल्कुल घना अंधेरा था। स्टेशन से बाहर आते ही हमें पद्मनाभ स्वामी मंदिर जाने के लिए केवल 50 रुपए में एक आॅटो मिल गया। आॅटो वाले से हमने मंदिर के मुख्य दरवाजे की तरफ छोड़ने का कहा। केवल 10 मिनट के सफर में हम मंदिर के पास पहुंच गए और आॅटो वाले को पैसे देकर हम मंदिर की तरफ बढ़ गए।

Friday, September 15, 2017

कन्याकुमारी यात्रा (भाग 2) : भगवती अम्मन मंदिर और विवेकानंद रॉक मेमोरियल

कन्याकुमारी यात्रा (भाग 2) :
भगवती अम्मन मंदिर और विवेकानंद रॉक मेमोरियल 




विवेकनन्द आश्रम में स्थित सनराइज व्यू पॉइंट से सूर्योदय का विस्मरणीय और मनमोहक नजारा देखने के बाद आइये अब हम चलते है भगवती अम्मन मदिर, विवेकानंद रॉक मेमोरियल और फिर उसके बाद कुछ और जगहों की सैर करेंगे। 8 बज चुके थे और हम अपने कमरे से निकलकर उस जगह पर आकर बस का इंतज़ार करने लगे जहाँ से आश्रम की बसें यहाँ आने वाले लोगों को लेकर संगम तक जाती है। बस आने का समय 9:30 बजे था और फिर यहाँ से जाने का समय 10:30 बजे था। 2 घंटे तक यहाँ बैठकर इतंजार करना तो ठीक बिलकुल भी नहीं था तो हमने ऑटो से जाना ही अच्छा समझा। अब सड़क पर होते तो कोई ऑटो बहुत आसानी से मिल जाती पर आश्रम के अंदर ऑटो तभी आती है जब वो किसी को यहाँ छोड़ने आया हो। कुछ मिनट के इंतज़ार के बाद भी जब कोई ऑटो नहीं आया तो हम पैदल ही चल पड़े। अभी कुछ ही कदम चले थे कि एक ऑटो आता हुआ दिखाई दिया जो कुछ लोगो को स्टेशन से लेकर यहाँ आया था। हमने उस ऑटो वाले को संगम तक छोड़ने को कहा तो उसने 5 आदमी का 50 रुपये  माँगा। हम भी ख़ुशी खुशी ऑटो बैठ गए और करीब 10 मिनट के सफर के बाद हम उस जगह पर पहुंच गए जहाँ से एक रास्ता मंदिर की तरफ और एक विवेकनन्द रॉक मेमोरियल की तरफ जाता है और किसी भी प्रकार की गाड़ी का यहाँ से आगे जाना निषेध है।

Friday, September 8, 2017

कन्याकुमारी यात्रा (भाग 1) : सनराइज व्यू पॉइंट

कन्याकुमारी यात्रा (भाग 1) : सनराइज व्यू पॉइंट



रामश्वेरम में जो ट्रेन में बैठे तो कन्याकुमारी पहुंचने से कुछ मिनट पहले ही नींद खुली। घड़ी देखा तो सुबह के 4 बजने वाले थे मतलब ट्रेन पहुंचने ही वाली थी क्योंकि ट्रेन के पहुंचने का समय 4 बजकर 5 मिनट था और देखते ही देखते ट्रेन अपने समय से कुछ पहले ही स्टेशन पहुंच गई। लोग ट्रेन से उतरने के लिए आपा धापी करने लगे, पर हमें कोई जल्दबाजी नहीं थी क्योंकि कन्याकुमारी इस ट्रेन का गंतव्य स्टेशन था और वैसे भी कन्याकुमारी आने वाली हरेक ट्रेन का ये गंतव्य स्टेशन ही होता है। सब लोगों के ट्रेन से उतर जाने के बाद हम आराम से ट्रेन से उतरे और स्टेशन से बाहर आ गए। अभी 4 बजे थे और हर तरफ घना अँधेरा था। यहाँ से हमें विवेकानंद आश्रम जाना था जहाँ पहले से हमने कमरा बुक करवा रखा था। स्टेशन से बाहर आया तो ऑटो वाला कोई 200 तो कोई 150 मांग रहा था और ये मेरे हिसाब से बहुत ज्यादा था क्योंकि मेरे एक घुम्मकड़ मित्र नरेंद्र शेलोकर ने जैसा बताया था उस हिसाब से 50 रूपये में कोई भी ऑटो वाला स्टेशन से विवेकानंद आश्रम पहुंचा देगा और हुआ भी यही। कुछ मिनट इंतज़ार के बाद एक ऑटो वाला खुद ही 50 रुपये में आश्रम पहुँचाने के लिए तैयार हो गया। जब ऑटो वाला खुद ही 50 रूपये मांगे तो मोल-तोल करने की भी कोई आवश्यकता नहीं थी और हम ऑटो में बैठ गए और करीब 10 मिनट में ही आश्रम पहुंच गए। 

Friday, September 1, 2017

रामेश्वरम यात्रा (भाग 2): धनुषकोडि बीच और अन्य स्थल

रामेश्वरम यात्रा (भाग 2): धनुषकोडि बीच और अन्य स्थल



रामेश्वरम मंदिर में दर्शन के बाद आइये अब चलते हैं रामेश्वरम के अन्य दर्शनीय स्थानों का भ्रमण करते हैं। मंदिर में दर्शन, पूजा-पाठ, कुछ शॉपिंग आदि करते-करते 10:30 बज चुके थे। लोगों से पूछने पर पता चला कि अन्य स्थानों पर जाने के लिए बस या ऑटो अग्नितीर्थम के पास ही मिलेंगे तो हम एक बार फिर से अग्नितीर्थम के पास आ गए। यहाँ कुछ ऑटो वाले खड़े थे जो रामेश्वरम घूमने के लिए लोगों से पूछ रहे थे। हमने कई ऑटो वाले से बात किया तो सबने सब जगह घुमाकर फिर से यहीं पर या रेलवे स्टेशन तक छोड़ने के लिए 500 रुपए की मांग की। पैसे तो वो ज्यादा नहीं मांग रहे थे पर समय 2 घंटे से ज्यादा देने के लिए तैयार नहीं थे, पर 2 घंटे में इतनी जगह घूम पाना बिल्कुल ही असंभव था। बहुत करने पर एक ऑटो वाला 2:30 घंटे समय देने के लिए तैयार हुआ पर इतना समय भी बिल्कुल अपर्याप्त था, लेकिन ऑटो वाले इस बात की गारंटी ले रहे थे कि इतने समय में सब पूरा हो जायेगा और यदि उनकी बात मानकर हम चले भी जाते हैं तो चेन्नई की तरह यहाँ भी लफड़ा होना निश्चित था। यही सब सोचकर मैंने बस से ही जाना उचित समझा और एक दुकान से पानी लिया और बातों बातों में उनसे बस के बारे में कुछ जानकारी ले लिया और चल पड़े बस स्टैंड के ओर।