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Monday, August 20, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-9 : ओंकारेश्वर परिक्रमा पथ (Omakareshwar Parikarma Path)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-9 : ओंकारेश्वर परिक्रमा पथ (Omakareshwar Parikarma Path)



ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते करते 12 बज चुके थे। दर्शन के पश्चात मंदिर से निकल कर उसी दुकान पर पहुंचे जहां से हमने प्रसाद लिया था और अपना बैग रखा था। दुकान वाले को प्रसाद के पैसे देकर अपना बैग वापस लिया और कुछ देर मंदिर के पास पसरे बाजार में यहां वहां घूमते रहे। दोपहर से ज्यादा का समय बीत चुका था और अब तक भूख भी सताने लगी थी तो हमने वहीं पटरी पर बिक रहे खाने की चीजों में से कुछ चीजें खरीद कर और वहीं किनारे बैठ कर खा लिया और तत्पश्चात ये सोचने लगे कि अब यहां से कहां जाया क्योंकि मंदिर में देवता के दर्शन तो हो गए और यहां कुछ दिख नहीं रहा जहां जाया जा सके, तभी अचानक ध्यान आया कि नदी के उस पार टेम्पो से उतरते ही एक बहुत ही बड़ी शिव प्रतिमा दिख रही थी वो तो हमने देखा ही नहीं। फिर वहीं पास ही एक दुकान वाले से पूछा कि भाई ये बताएं कि नदी के उस तरफ से एक बहत ही बड़ी शिव की प्रतिमा दिखाई देती है वो कहां पर है मुझे उसे देखना है। दुकान वाले ने बताया कि वो प्रतिमा परिक्रमापथ पर स्थित है जो कि यहां से करीब 4 किलोमीटर है। मैंने उनसे रास्ता पूछा तो उन्हांेने कुछ लोगों की इशारा करके बताया कि वो सब लोग जिधर जा रहे हैं वो ही परिक्रमा पथ और सब उधर ही जा रहे हैं। फिर हमने उनसे कुछ और जानकारियां ली कि कुल दूरी कितनी है परिक्रमा पथ की और समय कितना लग जाएगा तो उन्होंने जवाब दिया कि कुल दूरी 7 से 8 किलोमीटर के करीब है और समय अपने-अपने चलने की क्षमता पर निर्भर करता है लेकिन फिर भी लोग 3 से 4 घंटे में आ ही जाते हैं। मैंने घड़ी देखा तो एक बजने में कुछ समय बाकी था मतलब कि हम अभी चलें तो चार बजे तक वापस आ सकते हैं।

Monday, August 13, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-8 : ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन (Omkareshwar Jyotirling)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-8 : ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन 
(Omkareshwar Jyotirling)


सुबह सात बजे इंदौर से चलकर ओंकारेश्वर पहुंचते-पहुंचते करीब दस बज चुके थे। करीब करीब दस बजे या यों भी कह लीजिए कि ठीक दस बजे मैं ओंकोरश्वर पहुंच चुका था। ओंकारावर में बस स्टेशन से मंदिर और घाट की दूरी करीब दो से तीन तीन किलोमीटर है और बस स्टेशन से घाट (मंदिर) तक जाने के लिए आॅटो चलती है। मुझे भी बस से उतरते ही एक आॅटो मिल गई। सवारियां पूरी होने के बाद आॅटो चली और करीब दस मिनट में वहां पहुंच गए जहां जाने के लिए आए थे। इंदौर से चलकर यहां तक के सफर में करीब तीन घंटे से ज्यादा लगे और समय भी साढ़े दस हो गया था। यहां उतरते ही पहले तो दुकान वाले पीछे पड़ने लगे कि मेरे यहां से प्रसाद ले लीजिए और सामान रख दीजिए और शाम तक आप कभी भी आकर अपना सामान ले जाइएगा। पर हमने अपना सामान कहीं नहीं रखा और सीधे नर्मदा घाट पर पहुंच गए और नहाने के लिए ऐसे जगह की तलाश करने लगे कि जहां पर सामान रखकर आराम से नहा सकें।

Thursday, January 25, 2018

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-2 : महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ujjain-Omkareshwar Journey-2: Mahakaleshwar Jyotirling)

उज्जैन-ओंकारेश्वर यात्रा-2 : महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ujjain-Omkareshwar Journey-2: Mahakaleshwar Jyotirling)



उज्जैन पहुंचते पहुंचते बारह बज चुके थे। गाड़ी के स्टेशन पहुंचते ही ट्रेन से उतर कर जल्दी से स्टेशन से बाहर गए। सड़क पर पहुंचते ही एक आॅटो मिल गई जो दस रुपए प्रति सवारी के हिसाब से लोगों को रामघाट तक ले जा रही थी। हम आॅटो में बैठे ही थे कि उसके तुरंत बाद मेरी ही उम्र का एक व्यक्ति और आया जो मेरे ही बगल में बैठ गया। जल्दी ही बातें होने लगी तो पता चला कि वो भी उज्जैन और ओंकारेश्वर घूमने के लिए आए हैं। हम दोनों ही इस शहर से अनजान थे, अतः एक दूसरे का साथ पाकर थोड़ी सी ये तो उम्मीद बंधी कि चलिए ज्यादा तो नहीं कम से कम रामघाट पर नहाने भर का साथ तो रहेगा ही। कुछ देर में ही आॅटो भी सवारियों से भर गई। आॅटो वाले ने आॅटो को स्टार्ट किया और रामघाट की तरफ चल दिया। अभी आधे ही दूर गए थे कि सभी सवारियां उतर गई। अब आॅटो में केवल हम दो लोग ही बैठे रह गए थे। सभी सवारियों के उतरने के बाद आॅटो वाला पहले तो हमें आधे रास्ते में उतारने की कोशिश करने लगा, पर हमने साफ कहा कि भाई रामघाट बोलकर आॅटो में बैठाए हो और हम रामघाट पर ही उतरेंगे अगर रामघाट नहीं पहुंचा सकते तो मुझे वापस स्टेशन ही पहुंचा दो और उस बाद के कोई पैसे नहीं मिलेंगे, तो न चाहते हुए भी आॅटो वाले ने आधे मन से हमें रामघाट तक पहुंचाया।

Friday, August 25, 2017

रामेश्वरम यात्रा (भाग 1) : ज्योतिर्लिंग दर्शन

रामेश्वरम यात्रा (भाग 1) : ज्योतिर्लिंग दर्शन 





आज से एक साल पहले जब हमने भारत के उत्तर में हिमालय पर स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये थे तो ये सोचा भी नहीं था कि एक साल बाद देश के सबसे दक्षिण में स्थित भगवान शंकर के एक और ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। रामेश्वरम महादेव के ज्योतिर्लिंग के साथ साथ भगवान् विष्णु के चार धामों में से एक धाम भी है। रामेश्वरम शहर के पूर्वी भाग में स्थित श्री रामनाथ स्वामी मंदिर की ऊंची ऊंची दीवारें, सुन्दर कलाकारी से सजे हुए स्तम्भों की श्रृंखलाएं, बुलंद और सजे धजे गोपुरम (मंदिर का प्रवेश द्वार) के साथ साथ विशालकाय नंदी को देखना किसी सुन्दर कल्पना के सच होने जैसा लगता है। मंदिर का खूबसूरत विशाल गलियारा जिसे एशिया में मौजूद हिन्दू मंदिरों में सबसे लम्बा गलियारा होने का दर्जा प्राप्त है। यहाँ दो शिवलिंग की पूजा होती है, एक वो जिन्हें हनुमान जी कैलाश से लेकर आये थे और उसे विश्वलिंगम कहा जाता है जबकि दूसरे को जिसे भगवान राम ने बनाया था जिसे रामलिंगम कहा जाता है। मन्दिर परिसर में 24 कुंड है, जिसमें से 2 कुंड सुख चुके हैं और 22 कुंडों में पानी है पर यहाँ आने वाले लोगों को 21 कुंड के पानी से ही स्नान कराया जाता है क्योंकि 22वें कुंड में सभी कुंडों का पानी है। कुछ लोग जो लोग इन सभी कुंडों में नहीं करना चाहें उनके लिए इस 22वें कुंड में स्नान करना ही पर्याप्त है। इन सभी कुंडों के नाम रामायण और महाभारत कालीन लोगों के नाम पर रखे हैं जैसे अर्जुन तीर्थ, नल तीर्थ, नील तीर्थ, गायत्री तीर्थ, सावित्री तीर्थ और सरस्वती तीर्थ, गंगा-जमुना तीर्थ,आदि आदि। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तगण इन कुंडों में स्नान के पश्चात ही मंदिर में दर्शन के लिए जाते है, वैसे इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है, बिना इसमें स्नान के भी दर्शन किया जा सकता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु चाहे इन कुंड में स्नान करें या न करें पर मंदिर से करीब 200 मीटर की दूरी पर यहाँ के महत्वपूर्ण स्नान अग्नितीर्थम (समुद्र) में स्नान जरूर करते हैं।

Tuesday, January 3, 2017

केदारनाथ (Kedarnath)

केदारनाथ (Kedarnath)

चौथा दिन

सुबह के 3 बजते ही मोबाइल का अलार्म बजना शुरू हो गया। नींद पूरी हुई नहीं थी इसलिए उठने का मन बिलकुल नहीं हो रहा था।  सब लोगों को जगाकर मैं एक बार फिर से सोने की असफल कोशिश करने लगा।जून के महीने में भी ठण्ड इतनी ज्यादा थी कि रजाई से बाहर निकलने का मन नहीं हो रहा था। 5 बजे तक हम लोगों को तैयार होकर गेस्ट हाउस से केदारनाथ के लिए निकल जाना था इसलिए ना चाहते हुए भी इतनी ठण्ड में रजाई से निकलना ही था। पहले तो पिताजी और बेटे नहाने गए। उसके बाद माताजी और पत्नी की बारी आयी। मेरा मन गरम पानी के झरने में नहाने का करने लगा पर हिम्मत नहीं हो रही थी कि बाहर निकलें। कमरे के अंदर का तापमान जब 5 डिग्री के करीब था तो सोचिये बाहर का तापमान कितना होगा। फिर मैं टॉर्च और एक टॉवेल लिया और पिताजी को ये बोलकर कि मैं कुछ देर में आता हूँ और तेज़ी से कमरे से निकल गया। बाहर निकलते ही ठण्ड ने अपना असर दिखाया। ऐसा लग रहा था कि मैं किसी बर्फ से भरे  किसी टब में हूँ। मैं दौड़ता हुआ गेस्ट हाउस की 50 सीढियाँ उतर गया। हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। उस सन्नाटे में मन्दाकिनी नदी की पानी के बहने की जो आवाज़ थी बहुत ही मधुर लग रही थी। मन्दाकिनी की आवाज ऐसे लग रही थी जैसे कोई संगीत की धुन हो। मैं सीढ़ियों से उतरने के बाद मन्दाकिनी की तरफ गया और देखने लगा की गरम पानी का झरना किधर है।