बैजनाथ महादेव से पठानकोट
(Baijnath to Pathankot)
इतने दिन से घूमते हुए अब वो घड़ी आ गयी जब हमें वापस जाना होगा। ज्वालादेवी, धर्मशाला, मैक्लोडगंज, भागसू नाग वाटर फॉल, चिंतपूर्णी देवी और बैजनाथ महादेव की यात्रा पूरी करके और कुछ खट्टी-मीठी यादें लेकर और कुछ को अपने कैमरे में कैद करके बुझे मन से वापसी की राह पकड़नी थी। बैजनाथ मंदिर देखने के बाद वहां से बस से हम पपरोला आ चुके थे।
पपरोला बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन की दूरी महज 100 मीटर ही है। मैं स्टेशन पंहुचा तो यहाँ का नज़ारा ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी निर्जन प्रदेश में आ गए। स्टेशन के बाहर-भीतर और यहाँ तक प्लेटफार्म पर भी कोई मानव नहीं दिख रहा था, अरे मानव तो क्या कोई और जंतु भी दिख जाता तो लगता कि कुछ दिखा। अगर कुछ दिख रहा था यार्ड में खड़ी ट्रेन की 2 इंजन और ट्रेनें। मन तो कर रहा था कि स्टेशन के बोर्ड पर जो "बैजनाथ पपरोला" लिखा हुआ है उसे मिटाकर "निर्जन पपरोला" कर दें, पर ऐसा करना सरकारी संपत्ति का नुकसान करना होता, इसलिए नहीं लिखे।